Sep 16, 2013

वो भयभीत हैं...

वो भयभीत हैं,
अपने काले कारनामों के खुलने से,
अपने पापों के जगजाहिर हो जाने से,
अपने अपराधों के जवाब मांगे जाने से,
अपनी सत्ता के छिन जाने से,
अपनी ताकत के हीन हो जाने से,
अपने कुर्ते के काले धब्बों के दिखने से...


Nov 17, 2012

कुंए के मीडियाई मेढक..


भारतीय मीडिया जिस प्रकार से पत्रकारिता के गंभीर दायित्व का उल्लंघन कर आमदनी के ऊपर ध्यान केंद्रित कर रहा है उस से इसकी प्रमाणिकता और विश्वसनीयता समाप्ति की ओर है. मीडिया में आये इस स्खलन का दोष, दायित्व मीडिया के उन पत्रकारों का ही है जो सत्य के स्थान पर अपने स्वामियों की लाभहानि के अनुसार मुंह खोलते हैं. बदलते सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य मे मीडिया ने अपनी वरीयतायें भी बहुत तेज गति से बदली हैं. किन्हीं औद्योगिक घरानों की भांति यह राष्ट्र, समाज के प्रति अपने दायित्व को भूल अपने समाचारों, समाचारों के चयन, प्रस्तुत करने की भाषा और समाचार बनाने या ना बनाने के निर्णय राजनीतिक व्यक्तियों के लाभ हानि के अनुसार करने लगा है. इसमे ऐसे स्वघोषित पत्रकार और चैनल उत्पन्न हो गये हैं जिनके विचार बुद्धिमता के स्थान पर अपनी आमदनी के आकलन पर निर्भर हो रहे हैं. और जब सत्ता भ्रष्ट हो, और उस पर भ्रष्ट व्यवहार द्वारा कमाई गयी अकूत संपत्ति भी हो, तो ऐसे पत्रकार सत्ता के चरण पखार कर पीने मे संकोच / शर्म नही करते.

Nov 10, 2012

विदेशी कंपनियों के अनुसार चलती भारतीय दिवाली...


सुबह रास्ते मे एक विद्यालय के बालक पटाखों के विरोध मे हाथों मे कुछ पट्टिकायें लिये, नारे लगाते हुए चल रहे थे. पटाखों से मुझे कोई लगाव नही है, इन से धुंआ उठता है, ये प्रदूषण फैलाते हैं, इन से आग लगने का भय होता है, इन से चोट लगने का खतरा होता है, यह सभी बातें सत्य हैं, और जब श्री राम अयोध्या आये तो उस समय पटाखों का चलन भी नही था, अतः यह कहना भी उचित नही है कि यह श्री राम के अयोध्या पहुंचने के समय से चला आ रहा है.

Sep 16, 2012

आंदोलन को निगलती राजनैतिक महत्वाकांक्षा


सरकारी कारगुजारियों से परेशान हो स्वतंत्रता के बाद भारत मे ३ ऐसे आंदोलन हुए जिन्होने सत्ता परिवर्तन किये हैं, और तीनो बार ही सत्ता परिवर्तन आंदोलनों के द्वारा जनजागरण कर के संभव हो सके. ७० के दशक अंत मे हुआ सत्ता परिवर्तन जेपी के संपूर्ण क्रांति के आह्वान के आंदोलन द्वारा, १९८९ मे बोफोर्स कांड और भ्रष्टाचारियों के बचाव के प्रयासों से त्रस्त हो वीपी सिंह के आंदोलन द्वारा और १९९९ मे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आंदोलन ने ऐसा ऐसा संभव किया, किंतु सत्ता परिवर्तन के बाद भी भारतीय जनमानस त्रस्त ही रहा. इन आंदोलनों का तात्कालिक परिणाम सत्ता परिवर्तन के रूप मे दिखा किंतु इन्हीं आंदोलनो को सीढी बना कर अनेको व्यक्तियों ने स्वयं को राजनैतिक पटल पर स्थापित किया.

Sep 5, 2012

आई.ए.सी. और टीम केजरीवाल

लगभग ढाई वर्ष पूर्व कुछ लोगों ने फेसबुक पेज के माध्यम से एक आंदोलन की परिकल्पना की, और तकनीकि रूप से कुशल व्यक्तियों ने इस विचार को फेसबुक के माध्यम से आम लोगो का आंदोलन बनाया और इसे आई..सी. नाम दिया, किंतु ४ अगस्त २०१२ को आई..सी. के अंदर के ही एक समूह की महत्वाकांक्षा ने इस आंदोलन को निगल डाला. यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि आई..सी. वह टीम नही है, जिसे केजरीवाल टीम ने कोर टीम का नाम दिया था. आई..सी. एक आम नागरिकों का आंदोलन है जो कि इसने आंदोलन शुरु करने से पहले ही घोषित कर दिया था, जब केजरीवाल जी भी इस आंदोलन का हिस्सा नही थे, टीम केजरीवाल ने इस आई..सी. के अंदर अपनी एक कोर टीम बना कर उसे ही आई..सी. का कर्ता धर्त्ता होने का प्रचार प्रसार किया है, इस कारण से जिन्हें आई..सी. के बनाये जाने के कारणो और उसकी कार्यशैली का ज्ञान नही है वह टीम केजरीवाल को ही आई..सी. होने के भ्रम को सत्य मानते हैं.


Jan 17, 2012

राजनैतिक शून्य और विकल्पहीनता...

अंततः जैसा अपेक्षित था, आगामी माह मे होने चुनावों के प्रपंच अपनी चरम सीमा पर पहुंचने लगे हैं, और इन सभी प्रपंचो का एक मात्र लक्ष्य सत्ता पर पहुंचना है. जो भारतीय समाज के लिये अनावश्यक और अवांछनीय है, क्योंकि सत्ता पर कोई भी पहुंचे उसका आचरण बदलने की संभावना असंभव लगती है.


Dec 26, 2011

फोटो के संबंध..



आर एस एस को स्वघोषित परिभाषा के अनुसार सोचने वाले व्यक्तियों का एक समूह, (जो संघ का मात्र इस हेतु से प्रतिकार करता है क्यों कि उसके वैचारिक दृष्टिकोण के उत्तर इस समूह के पास नही होते) अब एक ठहाका लगाने योग्य प्रमाण को ले कर अन्ना को संघ के साथ संबंधित करना चाहता है. किंतु यदि ये मान भी लिया जाये कि दो व्यक्तियों की फोटो एक साथ होने के कारण दोनो के वैचारिक दृष्टिकोण आपस मे मिलते हैं तो इस तर्क से राहुल गांधी की फोटो जो कि एक अपराधी के साथ थी, स्वयं मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और उनके दलों के सभी राष्ट्रभक्तों की फोटो नारायण दत्त तिवारी जी के साथ भी उपलब्ध है (क्या ये माना जाये कि वो भी नारायण दत्त तिवारी की तरह अपने पद और शक्ति का उपयोग करते हैं) राजीव गांधी सोनिया गांधी की फोटो भी क्वात्रोचि के साथ भी उपलब्ध हो सकती है, अर्जुन सिंह की फोटो एंडरसन जैसे हत्यारे के साथ उपलब्ध हो सकती है, और सिर्फ फोटो ही क्यों, कांग्रेस के एक विधायक की तो १३९ सीडी भंवरी देवी के साथ उपलब्ध है तो क्या कांग्रेस के समस्त आंदोलनो के लक्ष्य भी उस सीडी के आधार पर घोषित कर दिया जाये?

Jul 3, 2011

अन्ना तुम तो सही हो पर...



अन्ना तुम फिर से हमारा आह्वान कर के जंतर मंतर पर जा रहे हो, हम फिर से आ जायेंगे लेकिन कहीं कुछ टीस रहा है, विश्वास कहीं कुछ कमजोर सा हो गया है. पिछली बार हम आये थे क्योंकि तुम हमारे लिये अनशन पर थे, इस बार भी तुम्हारे अनशन का कारण हम ही हैं लेकिन शंका तुम्हारे साथ के लोगों पर होने लगी है.