Jan 18, 2015

वो भोला भाला एक सांप...

वो भोला भाला एक सांप।
भाषण देता था खाँस खाँस।।
वो पहुंचा घाट बनारस के।
वापस लौटा फिर हांफ हांफ।।



वो हांफ हांफ कर लौटा था।
पर बेपेंदी का लोटा था।।
कहता था सब कुछ कर दूंगा।
पर देता सबको धोखा था।
वो बोला इशरत मेरी थी।
बोला शहजाद हमारा था।।
खाये थप्पड़ घूंसे लातें।
लोगों ने मिलकर मारा था।।

वो फिर शिकार को निकल चला।
गिरता पड़ता और फिसल चला।।
बेचेगा पूरा देश ये।
ऐसा मन करके विकट चला।।

पर जनता ने प्रहार किया।
एक झापड़ में सत्कार दिया।।
वो सोच ना पाया था कुछ भी।
और लोगों ने दुत्कार दिया।।