Jan 17, 2012

राजनैतिक शून्य और विकल्पहीनता...

अंततः जैसा अपेक्षित था, आगामी माह मे होने चुनावों के प्रपंच अपनी चरम सीमा पर पहुंचने लगे हैं, और इन सभी प्रपंचो का एक मात्र लक्ष्य सत्ता पर पहुंचना है. जो भारतीय समाज के लिये अनावश्यक और अवांछनीय है, क्योंकि सत्ता पर कोई भी पहुंचे उसका आचरण बदलने की संभावना असंभव लगती है.