मैं किसी को प्रसन्न या हताश करने हेतु नही लिखता हूं, मैं वही लिखता हूं जो मुझे ठीक लगता है, आवश्यक नही कि कोई उस से सहमत अथवा असहमत हो...
Jan 13, 2011
Jan 12, 2011
भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध..
कॉमनवेल्थ खेल खत्म हुए २ महिने से ज्यादा हो गया, भारतीय जनमानस के ८०,००० करोड रुपयो का कुछ पता नही चला है.. और जो पता चला है वो ये कि देश मे एक नयी प्रणाली विकसित हो गई है, जो मिल जुल कर काम कर रही है, इसमे पत्रकार हैं, नेता हैं, व्यवसायी हैं, अधिकारी है. एक घेरा बना हुआ है जिसके बीच मे भारतीय जनमानस है और चारो ओर से इन सुरसाओ ने अपना मुँह खोला हुआ है.. भारतीय जनमानस को इतना असहाय और शासको का इतना अधिक नैतिक और चारित्रिक पतन आज तक नही सुना.. चोर शासको ने प्रणाली के अंदर स्वयं को बचाने के लिये पहले वैधानिक चोर दरवाजे बनाये, और फिर अपने को बेनकाब कर सकने वाले अन्य समूहो के प्रतिष्ठित सौदागरो को जिन्हे वो पत्रकार और अधिकारी कहते हैं, उन्हे भी अपनी प्रणाली का हिस्सा बना लिया, आम जनमानस को ठगा गया और ठगे गये पैसे की बंदरबॉट हुई, जिन्हे राष्ट्र हित सर्वोपरि रखना चाहिये था उन्होने स्वयं के और अपने स्वजनो के लाभ हेतु मौन धारण किया.
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